आसमान भी

Aasman-Bhi-Hindi-Motivational-poetry

"बंदिशे तू यह तोड़ दे,
जंजीरे तू यह खोल ले,
कर ले खुद को आज़ाद तू,
राहें मंज़िल की ओर,
तू यह मोड़ ले। "

कभी चट्टानों से,
कभी पत्थरो से,
तू टकराएगा,
कभी समाज की कश्मकश में
उलझ जायेगा,
लेकिन रुकना नहीं तू,
काम अपना करता जाना,
जब तू परिश्रम करता जायेगा,
आसमान भी तेरे आगे झुख जायेगा।

लोग क्या कहेंगे
इस पर ना गौर कर
काम अपना करता जा
फ़िज़ूल का ना शोर कर
जब सफल हो जायेगा
शोर खुदबखुद मच जायेगा
जब तू परिश्रम करता जायेगा,
आसमान भी तेरे आगे झुख जायेगा।

दर्द तो यहाँ हर किसी को मिलता है,
कोई आगे बढ़ जाता है,
कोई टूट जाता है,
कोई मंज़िल भूल जाता है
तू टूटना नहीं,
मंज़िल भूलना नहीं,
जब खुद की मरहम खुद बन जायेगा
तेरा दर्द भी चकमा खा जायेगा,
काम अपना करता जाना,
जब तू परिश्रम करता जायेगा,
आसमान भी तेरे आगे झुख जायेगा।

कभी धुप होगी,
कभी छाँव होगी ,
कभी पूनम का उजाला होगा ,
कभी अमावस का अँधेरा होगा ,
जब तू इन सब में रहना सिख जायेगा,
सफर तेरा खूबसूरत बन जायेगा,
काम अपना करता जाना,
जब तू परिश्रम करता जायेगा,
आसमान भी तेरे आगे झुख जायेगा।


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