दिल बनाम दिमाग (Dil vs Dimag)



 

दिमाग, घर की जिममेदारीयो, 
काम की चिंता की परत के पीछे तेरी यादों को छिपाने की हजारों कोशिशें करता है।
लेकिन दिल की एक आवाज़,
सागर में गहरी लहर की तरह दिमाग को हिला कर रख देती है , 
दिल बस तेरी यादों में पानी सा बह जाता है और 
दिमाग किनारे पर बैठे गैर तैराक सा यूहीं ताकता रह जाता है।


दिमाग, तुझे और तेरी यादों को भुलाने की नाकाम कोशिशे करता है 
कभी डायरी और कलम याद दिलाता है तो
कभी पसंदीदा गलियों की तो
कभी पॉप गायिको के गानों की।
लेकिन जब कलम आता है हाथ में, तो डायरी में तेरे लिए हजारों शब्द छप जाते है
उन गलियों के शोर शराबे में तेरी याद आ ही आती है
उन गानों में भी तेरा ही नाम गूंजता है


दिमाग लाख चाहता है तुझे कोसने को ,
तुझे खरीखोटी सुनाने को, 
तुझसे हजारों सवाल पूछने को ,
लेकिन यह दिल आज भी तेरी मुस्कान पर फिदा हो जाता है , और तेरी खुशियों के आगे
तमाम सवाल और इल्जाम बस तेरे लिए दुआ बनकर रह जाते है।


दिमाग, हर छोटी चीज में खुशियां तलाशता रहता है, कभी अनजान चेहरों की मुस्कान में
तो कभी जरूरतमदों की मदद में ।
लेकिन दिल, उसका नाम और यादें लेकर बिन मौसम बरसात सा आता है जबरन उन खुशियों पर अपना हक अदा करके दिमाग को फसलों के जैसे पानी में डूबा के चला जाता है।






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