जिसके आने की वो राहें तकती है, तिरछी निगाहों से जिसे वो देखती है, जिससे बात करने के बहाने वो बुनती है, बेखबर है वो, एक मुसाफिर है, जिसमे वो अपना ठिकना ढूंढ़ती है। बेखबर…
Continue reading »इस जमाने में हम यहां सब मुसाफिर ही तो है, कुछ मुसाफिर अपनी मंज़िल पर खड़े है तो कुछ मुसाफिर अपनी मंज़िलो की तरफ चल रहे है लेकिन इन मुसाफिरों के बीच कुछ ऐसे भी मुसाफिर है…
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