मुझे कहां पता था



Jab koi hamari zindagi me koi khaas hota hai vo chhod kar jata hai tab hume ahahas hota hai dard ka. Kuch aise hi dard ko shabdo me likha hai. "Mujhe kahan pata tha" ek chhoti si kavita hai jo haal-a-dard bayain karti hai.

 मुझे कहां पता था

मुझे कहां पता था मै रोता भी हूं,

इतने अश्क है मेरे आंखों में ,


मुझे कहां पता था मै इतना भावुक भी हू,

इतने जज़्बात है मेरे दिल में ,


मुझे कहां पता था मै इतना कमज़ोर भी हू,

ऐसे बिखर जाऊंगा 


मुझे कहां पता था यह प्यार नहीं , एक चिंगारी है,

इसमें युहू सुलग जाऊंगा।

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