दिल टूट ही गया

 


दिल कांच सा नाज़ुक होता है । यह भावनाओ और जज्बात की दरिया में बह जाता है । इसको कहाँ समझ आता है हालत और परस्थितिया । यह बस लगा रहता है अपनी ही धुन में। 
लेकिन यह ज़िन्दगी कहाँ इतनी आसान है । अब सब की ख्वाइशे कहाँ पूरी होती है , सबको अपनी मोहब्बते कहाँ मिलती है।  नसीब वालों को मिल जाती होगी । लेकिन कुछ का दिल टूट ही जाता है। 
वक़्त बीतने लगता है और वक़्त के साथ वो उनके बिना जीना सीख लेते है। लेकिन वो टूटे दिल के किसी कोने में रहे जाते है ।  
इन्ही हालातों को शब्दों में कैद करने की कोशिश की । 

गमों की कैसी यह हवा चल गई,

जुदा हुवे तुम, मेरी ख्वाहिशें मिट गई।


अब मै जी रहा हूं, बस तेरी याद में,

आज भी आते तुम मेरे ख्वाब में।


एक वक़्त था, तू थी साथ में,

तेरा हाथ था, मेरे हाथ में,

तेरी सांस थी, मेरी सांस में,

तेरा ख्याल था, मेरे ख्याल में।


फिर वक़्त बीत ही गया,

साथ तुझसे छूट ही गया,

जो तू युहु मुझसे रूठ गया

दिल मेरा टूट ही गया।


अब मै जी रहा हूं, गमों की सौगात में।

आज भी आते तुम मेरे ख्याल में।


एक वक़्त था, तू थी पास में

तेरी बात थी, मेरी हर बात में,

तेरी मुस्कान थी, मेरी मुस्कान में

तेरी जान थी, मेरी जान में।


फिर वक़्त बीत ही गया,

साथ तुझसे छूट ही गया,

जो तू युहु मुझसे रूठ गया

दिल मेरा टूट ही गया।

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