लकीरें


मिट रही, लकीरें तेरे नाम की,
हो रही, सुबह काली हर शाम की,
सूख रही, बूंदे बरसात की,
बिखर रही, नीवे ख्वाब की।

डूब रही ख्वाहिशें मेरी डूब रही,
टूट रही उमीदे मेरी टूट रही,
बह रही आंखे मेरी बह रही,
लुट रही हस्ती मेरी लुट रही।

टूटे दिल की आवाज भी, तेरी फिक्र करती है।
हर दुआ मेरी,आज भी तेरा ज़िक्र करती है।

मिट रही किस्मत से तू मिट रही,
छीन रही ख्वाबों से तू छीन रही,
भटक रही मंजिले मेरी भटक रही,
जकड़ रही यादें तेरी जकड़ रही।

मेरी रूह की हर रग तेरा नाम जपती है,
तेरी यादें से ही तो मेरी सांस चलती है।

तकदीर में ना तो ना सही,
दिल में तो तू आज भी रहती है।

लकीरों में ना तो ना सही,
रूह में तो तू आज भी बसती है।
 
© Mukeshyasdiary 
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