जिसको तहदिल से चाहते है। वो कभी किसी को मिल जाता है तो कभी किसी को नहीं मिल पाता है और प्यार अधूरा ही रह जाता है। अरसे बाद भी, जब हम पीछे मुड़के देखते है तो वही पुरानी यादें पल भर में ही फिर से ताज़ा हो जाती है । कभी यह यादें रुलाती है और कभी यह यादें हंसाती है। लोग कहते है वक़्त के साथ सब ठीक हो जाता है। लेकिन कभी कभी यह नहीं हो पाता है। वक़्त के साथ यादें धुंधली जरूर हो जाती है यह यादें लेकिन मिटती नहीं है। किसी को भुलाना भी इतना आसान कहाँ है। यादों का साया इतना आसानी से कहाँ पीछा छोड़ता है।
"याद तेरी" कविता इन्ही यादों के सिलसिले को बतलाती है।
"वक्त के साथ यादें, धुंधली ज़रूर हो जाती है,लेकिन मिटती नहीं है।"कभी आंखों में तूफान,कभी चहेरे पे मुस्कान,दे जाती है,मिटती नही यहतेरी याद आ ही जाती हैं।कभी सूरज की धूप में,कभी बारिश की बूंद में,तू दिख जाती है,मिटती नहीं है यहतेरी याद आ ही जाती है।जितना भी तुझे,भूलना मै चाहु,लेकिन हर कोशिश मेरीनाकाम हो जाती हैं,मिटती नहीं है यह,तेरी याद आ ही जाती हैं।तुझको है भुलाना जैसे,झरनों को है,पानी को भूल जाना,बंजर जमीन परकली का है खिल जाना,बंजारे कोठिकाना है मिल जाना,चाहे कितनी भी कोशिश करूं,ना जाने कैसे,तेरी याद आ जाती है,मिटती नहीं है यह,तेरी याद आ ही जाती है।
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