खुद को पहचान ले तू



क्यों तू झूठे दिखावे में आ रहा है
क्यों तू जमाने वाली राहों पर जा रहा है,
क्यों तू खुद का वजूद भुला रहा है,
अभी भी वक़्त है,
खुद को थाम ले तू,
खुद को पहचान ले तू।


क्यों तू मंज़िलो से नजरें चुरा रहा है,
क्यों अपने हुनर को यूहीं ठुकरा रहा है,
क्यों तू औरो के लिए अपने सपने दफना रहा है,
लोग क्या कहेंगे,
इससे खुद को बाहर निकाल ले तू,
खुद को पहचान ले तू।


बनना तुझे कलाकार है तो
क्यों इंजीनियरिंग में अपना वक़्त गवा रहा है,
क्यों तू शर्माजी के बेटे से अपनी तुलना करवा रहा है,
क्यों तू बिना लड़े ही हार मान रहा है,
अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा,
खुद को संभाल ले तू,
खुद को पहचान ले तू।

©Mukeshyasdiary 
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